बल्लभगढ़, फूलसिंह चौहान, नितिन बंसल। अग्रवाल महाविद्यालय में आयोजित 3
दिवसीय कार्यशाला का आयोजन 28 दिसंबर 2019 से 30
दिसंबर 2019 तक शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई
दिल्ली के सहयोग से अग्रवाल कॉलेज बल्लभगढ़ द्वारा किया जायेगा। चरित्र निर्माण और
समग्र व्यक्तित्व विकास पर कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य है कि विद्यार्थियों को चरित्रवान
बनाना है क्यूंकि सुदृढ़ चरित्र के बिना शिक्षा अधिग्रहण कठिन है। उद्घाटन समारोह
में मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री पंडित मूलचन्द
शर्मा ने अग्रवाल महाविद्याल्य के पूर्व छात्र अद्धसैनिक बल के शहीद जयभगवान शर्मा
को पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी इस पर मंत्रीजी ने कहा की शहीदों की शहादत को
हमेशा याद रखना चाहिए शहीदों की बदौलत ही देश को आजादी मिली है। इस कार्यक्रम में
शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली की तरफ से अरुण कोठारी ने भी भाग लिया। तत्पश्च्यात
मंत्रीजी ने कालेज के छात्र-छात्राओ को संबोधित करते हुए कहा की पढाई के साथ साथ
संस्कार समन्वित, नैतिक शिक्षा को अपनाए ओर अपने चरित्र निर्माण
में ध्यान दे ताकि एक अच्छे नागरिक बन सके और देश को तरक्की के रास्ते पर ले जाये।
उन्होंने कहा कि आज हमने मुख्य रूप से पाठ्यक्रमों में महापुरुषों के चरित्र को
अध्यापन का विषय बनाने पर ज़ोर दिया है। उन्होंने ऐतिहासिक समय की बात की, जिसके
दौरान शिक्षा के माध्यम से मानव के समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाता था।
प्राचार्य डॉ. कृष्णकांत ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और 3
दिवसीय कार्यशाला की प्रासंगिकता के बारे में बताया। उन्होंने कॉलेज के छात्रों को
प्रभावित करने के लिए शिक्षाविदों को आत्म-निरीक्षण करने की आवश्यकता बताई। डॉ. आलोकदीप ने हरियाणा के विभिन्न
विश्वविद्यालयों और सरकार के साथ शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के विभिन्न
एम.ओ.यू. के बारे में बात की, जो वर्तमान समय में आवश्यक चरित्र
विकास के विचार को प्रचारित करने में मदद करेगा।

कैबिनेट मंत्री हरियाणा सरकार पंडित मूलचंद शर्मा ने ‘उद्यमिता विकास’ पुस्तक का भी अनावरण किया। समारोह में मुख्य वक्ता अतुल कोठारी, राष्ट्रीय सचिव, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली ने कहा कि दुनिया एक कठिन दौर से गुजर रही है जहां अपराध बढ़ रहे हैं क्योंकि लोग अपने मूल्यों और परंपराओं को भूल गए हैं। तकनीकी के कारण युवाओं के चरित्र पर अत्याधिक संकट है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है। उनका कहना है कि भौतिकवाद आध्यात्मिकता से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है जिसे बदलने की आवश्यकता है। उन्होंने गांधी के विश्वास की अवधारणा के महत्व के बारे में बात की । शारीरिक फिटनेस, मनोवैज्ञानिक फिटनेस, बौद्धिक विकास और एक अनुशासनात्मक पाठ्यक्रम की आवश्यकता समय की आवश्यकता है। सम्मानित अतिथि डॉ. उर्मिला देवी, संयुक्त सचिव, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, नई दिल्ली ने व्यावहारिक ज्ञान के बारे में बात की। हमें अपने पारंपरिक मूल्यों को समझने की जरूरत है। उद्घाटन समारोह तीन सत्रों में हुआ। दूसरा सत्र जो पंचकोश अवधारणाओं पर था, कॉलेज के वरिष्ठ संकाय ने सभी पाँच कोशों पर चर्चा की। डॉ. बांके बिहारी ने अन्नमय कोश पर बात की, डॉ. आर.पी. शर्मा ने प्राणय कोश पर बात की, किरण आनंद ने मनोमय कोश पर बात की, डॉ. देवेंद्र ने विज्ञानमय कोश और शोधार्थी मधु सिंगला ने आनंदमय कोश पर विचार प्रस्तुत किए। दर्शकों को उनके व्यक्तित्व को निखारने के लिए विद्वानों के साथ स्वास्थ्य था। इसके बाद सत्र 3 में अशोक कडेल, राष्ट्रीय सह-संयोजक, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास, नई दिल्ली द्वारा अन्नमय कोश पर विस्तार से प्रकाश डाला गया । उन्होनें दर्शकों को आत्मसात करने और उनके व्यक्तित्व को विकसित करने में मदद करने के लिए इस कोश पर विचार-विमर्श करते हुए कहा की अन्न के शुद्धीकरण से ही जीव शेष चार कोशों को शुद्ध किया जा सकता है । अगले दो दिनों में सात सत्रों का आयोजन किया जायेगा, जिसके बाद प्रोफेसर सुषमा यादव, कुलपति, बीपीएस विश्वविद्यालय, खानपुर कलां सोनीपत के मुख्य अतिथि होंगे।
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