Thursday, February 6, 2020

पर्यटकों की कमी से जूझ रहे 34वें अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प सूरजकुंड मेला बना अव्यवस्थाओं का गढ़


विशेष संपादकीय


फूल सिंह चौहान और नितिन बंसल।

पर्यटकों की कमी से जूझ रहे 34वें अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प सूरजकुंड मेला अव्यवस्थाओं का गढ़ बन कर रह गया है। यहाँ मेला प्रतिदिन कोई न कोई परेशानी, या विरोध प्रदर्शन या अव्यवस्था से मेले में आने वाले पर्यटकों को रूहवरुह होना पद रहा है । मेले का आगाज हुए आज पूरे 6 दिन बीत चुके हैं लेकिन यहां पर देश के विभिन्न राज्यों से आए हस्तशिल्पी अपने स्टॉल अलॉटमेंट को लेकर परेशान दिखे हस्तशिल्पियों का आरोप है कि एक तो उन्हें स्टॉल देर अलॉट किये गये, और दुसरे उन्हें स्टॉल अलॉटमेंट में भी भेदभाव किया गया है। अपने के खिलाफ गत सोमवार को एससी एस्टी वर्ग के हस्तशिल्पियों के विरोध भी मेला अथोर्टी देख चुकी है। हद तो जब हो गई जब काफी प्रयासों के बाद गुजरात 
से आई हुई राधा नाम की शिल्पकार जब अलॉट किये गये अपने ओपन स्टॉल पर अपने हस्तशिल्पी समान को रखने जब पहुंची तो उस पर किसी दूसरे स्टॉल वाले ने कब्जा कर रखा था। जिसकी जानकारी उसने तुरंत ही मेला अधिकारीयों को दी। बाद में मेला कर्मचारीयों बहुत बहस करने के बाद और मीडिया केमरे के दखल के बाद ही उनको वह जगह मिल पाई। शिल्पकार राधा बताया कि उनको स्टॉल 2 तारीख को अलाट की गई व 3 तारीख को इसकी संख्या बताई गई जो कि 31 तारीख से पहले अलॉट करनी थी मेला नोडल अधिकारी राजेश जून ने 31 तारीख को हुई पत्रकार वार्ता में एक पत्रकार के प्रश्न के जबाब में कहा था कि उन्होंने सभी हस्तशिल्पियों को पूरी तरीके से स्टॉल आवंटित कर दिए हैं पिछले सालों की तरह इस साल स्टॉल आबंटन को लेकर कोई अव्यवस्था नहीं फैलेगी। 
रही है जिस स्टॉल वाले ने इस महिला की स्टॉल को कब्जा रखा था वह विदेशी मूल के हैं। जब उससे मेले के कर्मचारियों ने और राधा जी ने हटने के लिए आग्रह किया तो पास के ही एक अन्य अफ्रीकन विदेशी मूल की महिला को यह लगा की उनके साथ यहाँ कुछ गलत हो रहा है तो वह इस मामले में कूद पड़ी वह उनसे जिद बहस करने लगी और राधा के पडोसी स्टॉल धारक को भडकाने लगी। भाषा का फर्क और किसी ट्रांसलेटर का वहाँ मेला कर्मचारीयों के साथ समय पर न होना इस गलतफहमी को और बढ़ा रहा था। बाद में मीडिया केमरे के दखल के बाद उक्त अफ्रीकन विदेशी मूल की महिला शांत हुई व वहां से चुपचाप चली गई। मेले में स्टॉल आबंटन का यह किस्सा अनोखा ही नहीं
है हर साल इस तरह की दिक्कत परेशानी मेले में होती हैं और मेला अधिकारी हर साल यह विश्वास दिलाते हैं कि उन्होंने व्यवस्था दुरुस्त कर दिया है लेकिन वे फेल साबित होते हैं यही नहीं की मेले में सुरक्षा व्यवस्था भी सही नहीं है मेले में अगर किसी का सामान चोरी हो जाए तो वह मिलना नामुमकिन होता है यह इसलिए कि गत दिवस पूर्व मेले में स्वांग के रावण के स्वांग में बने एक कलाकार के मुकुट मेले से चोरी हो गए लेकिन मेले में लगे कैमरे में कोई चोरी करने वाले व्यक्ति की फोटो नहीं आई और मेला अधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ लिया बेचारे उस कलाकार को अपनी जेब से पैसे खर्च कर कर नया मुकुट मंगवाना पड़ा यह लापरवाही मेला अधिकारियों की सुरक्षा की पोल खोलता है इसी के साथ मेले में मेला अधिकारी ने पूर्ण रूप से 
प्लास्टिक का प्रयोग ना होने की बात कही थी लेकिन मेले में कई जगह और प्लास्टिक का यूज़ होता नजर आया जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है यह सब मेले की लचर कार्य पद्धति को दर्शाता है। कई हस्तशिल्पी मेले में पर्यटकों की कमी से बेहद निराश दिखाई दियें कहतें है की इसबार का मेला अब तक तो काफी निराशा जनक है वे का एक प्रमुख कारण प्रवेश टिकट का मूल्य अत्याधिक होना भी बतातें हैं। अब तो वे वीकैंड से कुछ राहत की उम्मीद लगायें हैं। मेले में पर्यटकों के नाम पर जो कुछ युवा दिखाई दे वे भी कॉलेज के आईडी कार्ड दिखा आधे दाम में टिकटें प्राप्त कर रहें हैं वरना कार्यदिवसों पर पर्यटकों की संख्या आधी ही रह जाने की आशंका है मेले में अब तक सबसे अच्छी बात मेला परिसर में दोनों चौपालों पर देशी विदेशी
कलाकार अपनी कड़ी मेहनत व हुनर के दम पर पर्यटकों के मन को मोह ने में कामयाब रहें हैं, पलवल जिले के ग्राम बनचारी के कलाकार भी अपनी कला के दम पर पर्यटकों को आकर्षितकर भीड़ जुटाने में कामयाब नजर आए साथ ही अपने व्यस्त समय से थोड़ा समय निकल देशी व विदेशी मेहमान हस्तशिल्पियों की कला को परखते हुए बल्लभगढ़ के एसडीएम त्रिलोकचंद नजर आना एक सुखद नजारा था। लेकिन पर्यटकों की कम संख्या कलाकारों के मनोबल को गिरती है साफ़ है की मेला अथोर्टी जब तक अपनी पिछली गलतियों से सवक लेने के स्थान पर गलतियों को पुन: दोहराएगी तो मेले की सफलता पर हमेशा ही प्रश्न रहेगा।

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