Tuesday, June 2, 2020

कर्मचारियों ने बिजली निजीकरण के खिलाफ काले बिल्ले लगाकर काला दिवस मनाया

फरीदाबाद। नितिन बंसल।
 नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलैक्ट्रीसिटी इंप्लाईज एंड इंजीनियर्स के  आहृवान पर सोमवार को बिजली कर्मचारियों ने बिजली निजीकरण के संशोधन बिल 2020 के खिलाफ काले बिल्ले लगाकर काला दिवस मनाया। सर्व कर्मचारी संघ
हरियाणा एवं ईईएफआई से संबंधित आल हरियाणा पावर कारपोरेशनज वर्कर यूनियन के बेनर तले काला दिवस पर  सभी सब डिवीजनों पर काले बिल्ले लगाकर प्रर्दशन किए। इंजीनियरों ने लंच टाइम में सर्कल पर एकत्रित हो कर काला दिवस मनाया और बिल के खिलाफ प्रदर्शन किया। कर्मचारियों द्वारा किए गए इन प्रदर्शनों का नेतृत्व बल्लभगढ़ यूनिट में प्रधान रमेश चंद्र तेवतिया व सचिव कृष्ण कुमार,एनआईटी में प्रधान भूपसिंह कौशिक व सचिव गिरीश राजपूत,ओल्ड में प्रधान सतीश छाबड़ी व वरिष्ठ उपाध्यक्ष सतबीर सिंह और ग्रेटर फरीदाबाद यूनिट में प्रधान दिनेश शर्मा व सचिव असरफ खांन आदि कर रहे थे। प्रर्दशनों को सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष व एएचपीसी वर्कर यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाष लांबा,आल हरियाणा पावर कारपोरेशन वर्कर यूनियन के उपाध्यक्ष सतपाल नरवत,सर्कल सचिव अशोक कुमार व नेशनल राम चरण पुष्कर आदि नेताओं ने बतौर मुख्य वक्ता संबोधित किया।
सर्कल कार्यालय व औधोगिक क्षेत्र सब डिवीजन पर आयोजित प्रदर्शनों को संबोधित करते हुए सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने आरोप लगाया कि कोरोना की आड़ में सरकार बिजली जैसे अति महत्वपूर्ण क्षेत्र को निजी हाथों में सौंपना चाहती हैं। उन्होंने कहा कि अगर बिजली संशोधन बिल 2020 कर्मचारियों एवं अधिकारियों के विरोध के बावजूद संख्या बल पर संसद में पारित किया गया गया तो सब्सिडी व क्रास सब्सिडी खत्म हो जाएगी। जिसके चलते बिजली किसानों व घरेलू गरीब उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो जाएगी। जिससे किसान व कृषि बर्बाद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि निजीकरण का यह  बिल पारित होने पर बिजली के रेट तय करने का अधिकार राज्य पावर रेगुलेटरी कमीशन से निकलकर केन्द्रीय स्तर पर बनने वाले रेगुलेटरी कमीशन के पास पहुंच जाऐगा। उन्होंने कहा कि वितरण प्रणाली में डीएचबिविएन के बराबर में प्राइवेट लोगों को लाइसेंस दिए जाएंगे और वह आगे सब लाइसेंस व फ्रैंचाइजी की जाएगी। निजी कंपनियों को लागत व 16 प्रतिशत मुनाफा और उपभोक्ता चुनने का अधिकार प्राप्त होगा। इसलिए सरकारी वितरण निगमों का हाल बीएसएनएल की तरह ही होगा। कर्मचारियों एवं अधिकारियों की छंटनी होना लाजिमी है। उन्होंने कहा कि अगर केन्द्र सरकार ने सोमवार को देशभर में किए प्रदर्शनों के बावजूद बिजली निजीकरण बिल 2020 को आगामी सत्र में पारित कराने का प्रयास किया तो 15 लाख बिजली कर्मचारी एवं अधिकारी राष्ट्रव्यापी हड़ताल करने पर मजबूर होंगे।

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